आई नोट , भाग 52 अंतिम भाग
अध्याय-9
मैं अच्छा हूं या बुरा
भाग-6
★★★
3 महीने बाद
पेड़ पौधों की हल्की छांव के बीच एक फुड वेन दिखाई दी। छांव कभी उसे ढक रही थी तो कभी उसे धूप में ला रही थी। शख्स उसी वेन के अंदर ब्रेड फराए कर रहा था। उसने कुकिंग वाली ड्रेस पहन रखी थी। सर पर एक बड़ी सी टोपी थी जिस पर स्माइली फेस बना हुआ था।
“लोग सर्टिफिकेशन के भूखे हैं।” उसने अपने मन में कहा “जब तक उन्हें सभी सवालों के जवाब ना मिल जाए तब तक चैन नहीं आता। इसलिए कोई कहानी बीच में अधूरी छोड़ दो, तो वो या तो सवालों के बंधन में फंस कर तड़प उठते है, या फिर खुद से ही वो डिसाइड करने लेते हैं जो हुआ ही नहीं। आगे की कहानी भी लोग खुद ही बनाते हैं। ना बनाए तो उस राइटर को ढूंढने की कोशिश करते है जिसने कहानी लिखी है। इसलिए तो मैं अपनी कहानी में अपना नाम नहीं लिखता।”
उसने गैस की आंच धीमी की। इसके बाद सामने की तरफ देखा जहां काफी सारे टेबल लगे हुए थे और उस पर लोग खाना खा रहे थे। खाना खाने के साथ ही उन सभी लोगों के हाथ में एक किताब थी जिसका टाइटल था आई नोट। हर कोई उस कहानी को पढ़ रहा था।
“मैं जानता हूं, जब लोग मेरी कहानी पढेगे और मेरी उस लाइन पर पहुंचेंगे जहां मैंने कहा द एंड, इसके बाद काफी सारे सवालों की बौछार होगी। पूछा जाएगा आखिर मानवी का क्या हुआ, या सोम्या ने क्या डिसीजन लिया। लोग यह भी कहेंगे आशीष को थोड़ा लड़ना चाहिए था। काफी चीजें होंगी जो लोगों ने कहानी से एक्सेप्ट की होंगी मगर उन्हें मिली नहीं।”
शख्स ने सोस उठाया और उसे ब्रेड पर डालने लगा।
“मगर लोगों को कौन समझाए हर एक उम्मीद को पूरा नहीं किया जा सकता। कुछ.... यह कुछ हमेशा बाकी रहता है।सोम्या का देखा जाए तो वो अपने घर में सभी की मौत के बाद अकेली रह गई थी। एक तरह से उसका लकी ड्रॉ निकल गया। वह अपने माता पिता के जायदाद की भी अकेली मालकिन हो गई और अपने भाई की भी। बिजनेस में उसका दिमाग अच्छा था। जायदाद नाम होने के बाद उसने स्नेहा के साथ पार्टनरशिप कर ली जिसके बाद वह अपने बिजनेस को काफी आगे बढ़ा रही है। रही बात मेरी तो मुझे पैसों का लालच नहीं था, मुझे किसी भी चीज का लालच नहीं था, मुझे बस खुद को खुश करने वाली जिंदगी चाहिए जो यहां रेस्टोरेंट्स से मिल रही है।”
तभी सामने एक शख्स ने किताब को टेबल पर पटका और कहा “यार ये आशीष.... मैं कहानी के एंड से बिल्कुल भी सेटिस्फाई नहीं हुआ... राइटर को आशीष और अपनी थोड़ी सी लड़ाई दिखानी चाहिए थी। ऐसे क्या कि बस चाकु मारा और आशीष खत्म..... कम से कम एक अच्छा फाइट सीन तो होता।”
यह सुनते ही शख्स ने अपने चेहरे पर गंभीर भाव दिखाएं और मन में कहा “ इसकी!! जैसे आशीष का कंट्रोल मेरे हाथ में था... या उसे पता था मैं उसे कहानी में डालने वाला हूं। लोग उसे फटटु ना बोले तो मरने से पहले एक दो दांव ही दिखा दे। अगर आशीष का कंट्रोल मेरे हाथ में होता तो मैं तो सुपर हीरो लेवल का फाइट सीन दिखा देता। मगर लोगों को नहीं पता यह एक असली जिंदगी से निकल कर आई कहानी है, और इसमें मैंने वही लिखा है जो हुआ।”
उसने अपना ध्यान हटाया और खाने की तरफ देखने लगा। ब्रेड ज्यादा गरम हो गए थे।
“वैसे देखा जाए तो, सच्चाई यही है जब मौत किसी के सामने आती है तो वह भूल जाता है उसे क्या करना है क्या नहीं। कोई भी इंसान मौत सामने आने के बाद इंस्टट एक्शन नहीं दे सकता। आशीष ने वही किया जो नेचुरल था। और फिर आशीष ने भी कौन सा ज्यादा लोगों की जान ली थी। उसे आमने सामने लड़ना ही नहीं आता था। उसे लड़ना नहीं आता था इसलिए वो पीछे से हमला करता था। जबकि मेरे पास एक्सपीरियंस की कोई कमी नहीं थी। आशीष खतरनाक था, मगर सिर्फ तब जब उसे अपने सामने से कोई खतरनाक ना मिले।”
ब्रेड की तरफ ध्यान देने के बाद उसने वापस सामने की तरफ ध्यान दिया।
दूसरे टेबल पर मौजूद एक शख्स ने किताब खत्म करते हुए कहा “मुझे नहीं लगता इस पूरी कहानी में लेखक किसी भी मायने में गलत है। वो सही था। और मैं इस बात से पूरी तरह से सहमत हूं।”
शख्स मुस्कुराया और अपने मन में कहा “किसी के बुरे कामों को उसी के मुंह से सुनोगे तो वो अपने आप को बुरा कैसे बना कर पेश करेगा। यह तो एक लेखक का टैलेंट है जिसमें उसने बुरा होने के बाद भी खुद को लोगों के सामने अच्छा दिखा दिया। लोग भी तो बस वही देखते हैं जो उन्हें दिखाया जाता है। और उनका फाइनल रिएक्शन भी उसी से डिसाइड होता है जो वह आखरी बार देखते हैं। मैं मेरी कहानी में कहीं से भी अच्छा नहीं था, मैंने शुरू से लेकर आखिर तक खून किए हैं, और खून करने वाला कभी अच्छा नहीं होता।”
उसने दोबारा अपने खाने की तरफ ध्यान दिया मगर तभी किसी की गुजतीं हुई आवाज कान में आई “यार मानवी का क्या हुआ होगा... डिड यु थिंक राइटर ने उसे छोड़ दिया होगा।”
शख्स के अंतरात्मा की आवाज ने कहा “मानवी को लेकर लोगों में कंफ्यूजन बनी रहे तो ही बढिया है। उसने मेरी पूरी जिंदगी खराब कर दी थी, जिसके बाद उसका जिंदा रहना बनता ही नहीं था। मगर मैं लोगों को यह बात कभी नहीं बताने वाला मैंने उसे मार दिया। मैं लोगों को यह भी नहीं बताऊंगा उसे मारने के बाद उसकी मौत का इल्जाम आशीष पर चला गया जो वैसे भी सनकी था, और पहले भी काफी पत्नियों को मार चुका था। श्रेया वाला मामला भी स्टीफन की एक की गई गलती की वजह से बाहर आ गया था। इन सबने आशीष के काले चिट्ठे खुली किताब की तरह सामने लाकर रख दिए।”
जिस किसी ने भी यह वाला सवाल पूछा उसके पूछने के बाद सामने से किसी लड़की ने कहा “मेरे दिमाग में तो यह सवाल घूम रहा है सोम्या ने क्या किया होगा? मुझे नहीं लगता उसने पुलिस केस किया होगा?”
“अगर ऐसा होता तो तुम लोग यहां रेस्टोरेंट पर खाना नहीं खा रहे होते। तुम लोगों के हाथ में वह बुक भी ना होती जिसे पढ़ रहे हो।” शख्स ने क्रीम उठाई और उसे ब्रेड पर डालते हुए अपने मन में कहा “एक लेखक होने के कारण मुझे पता था मुझे सौम्या को क्या कहना है क्या नहीं। एक लेखक होने के कारण मुझे पता था मुझे उन सभी लोगों के सामने खुद को कैसा रखना है। मैं बुरा हूं, यह बात मुझे पता थी उन लोगों को नहीं। जबकि आशीष उसने तो खुलेआम अपने बुरे होने के सबूत दे दिए थे। इन सब ने मेरे लिए एक इस्पेस प्लेन बनाया, मैंने अपनी बुरी पहचान को छुपाया और आशीष के अपने मां-बाप को मारने के बाद उसके साथ वो किया जो करना था, और वह करने के बाद अच्छा बन गया। सोम्या को इससे कोई एतराज नहीं रहने वाला था, और यह बात मैं अच्छे से जानता था। फिर उसके सामने सही शब्दों का इस्तेमाल भी किया और अपने लिए एक सिपतीं जगाई जिसने आगे काम भी किया।”
तभी उसे एक और लड़की की आवाज सुनाई दी जो कहती हुई मिली “मुझे समझ में नहीं आया आखिर कहानी में लेखक का मोटिव क्या था? वो यह कहानी लिखकर हमें क्या सीख देना चाहता था? क्या वह दिमागी केद के बारे में बताना चाहता था, या फिर मानवी किसकी है यह?”
“नहीं, तुम सभी मामलों में पूरी तरह से गलत सोच रही हो, मैं बस कहानी में यही दिखाना चाहता था कि अगर हालात बुरे हो तो इंसान किस तरह का हो सकता है। वह भी खासतौर पर मेरे लिए। मुझे आशीष का किरदार अच्छा लगा तो उसे भी कहानी में डाल दिया। कंचन भी इस मामले में एक ऐसा किरदार थी जो मेरे उद्देश्य से मिलती जुलती थी। वरना उसके चैप्टर का तो कहानी में कोई काम ही नहीं था। इन सब चीजों ने मिलकर एक ऐसा कॉम्प्लिकेटेड प्लोट तैयार किया जो कम से कम इस मोटिव के काबिल था हालात किसको कितना बदलते हैं। मानवी, मैं, आशीष, कंचन, सबको सिर्फ और सिर्फ हालातों ने ही तो बदला।”
इसके बाद ज्यादतर जो सवाल उठे उसमें शख्स को यह सुनाई दिया “आखिर कहानी में कहानी के लेखक का नाम क्यों नहीं? लेखक ने इसे पूरी कहानी में अपने नाम को क्यों छुपाया?”
“क्योंकि मेरी जान मैं नहीं चाहता आने वाले समय में कोई मेरी किताब उठाए और किताब उठाकर मुझे कातिल घोषित कर दे। नाम होगा तो कहीं ना कहीं से कोई ना कोई लिंक तो मिल ही जाएगा। सेफ्टी ज्यादा जरूरी है, जबकि नाम का क्या है बने ना बने कोई मतलब ही नहीं।”
इसके बाद उसे काफी सारी तारीफ़े सुनने को मिली जो कहानी की लेखन शैली, उसकी गुणवत्ता, इत्यादि के बारे में बता रही थी।
शख्स ने उसे सुना और अपने दोनों हाथ ठोढ़ी के नीचे रखकर बोला
“सही मायने में कहा जाए तो मैंने कहानी में काफी कुछ मिस किया। कहानी लिखने का जितना भी एक्सपीरियंस है उसका इस्तेमाल करने के बावजूद मैंने कहानी में काफी सारी कमियां रखी हैं। हां एक अच्छा लेखक नहीं हूं और मैं इस बात को स्वीकार करता हूं। लिखना इंसान धीरे-धीरे ही सीखता है। मैं भी कोशिश कर रहा हूं और अपनी कोशिश में एक ना एक दिन परफेक्ट जरूर होऊंगा। जिस दिन परफेक्ट होऊंगा उस दिन इसी कहानी को दोबारा लोगों के सामने लेकर आऊंगा। एक बढ़िया आईडियोलॉजी और एक बढ़िया लेखन शैली के साथ। एक ऐसी लेखन शैली के साथ जिसमें कहानी में किसी तरह की कोई कमी भी नहीं होगी। आखिरी के सवाल जवाबों को तो मैं कमी नहीं मानता, कहानी में कुछ चीजें अधूरी छोड़ देना कहानी के लिए अच्छी होती है, इसी बहाने सवाल का जवाब जानने वाले लोग ज्यादा हो जाए तो अगला सीजन लिखने का भी मन बन जाता है। मैं उन चीजों को जरूर कमी मानता हूं जो कहानी में कहीं ना कहीं लूप होल क्रिएट करती है। यह कमियां ही वह कमियां होती हैं जिन्हें लेखक को सुधारने का काम करना चाहिए।”
इतना सोचने के बाद उसने आंखें बंद की और गहरी सांस लेकर उसे बाहर छोड़ते हुए कहा “लेखक बनना भी कौन सा आसान रहता है, कल्पना करना, लिखना, अच्छा लिखना, सभी में जमीन आसमान का फर्क है। इन सबके बीच इंसान बस कोशिश और प्रैक्टिस ही कर सकता है। बिकॉज बोथ आर हेल्पफुल फॉर मेक ए हुमन परफेक्ट।”
तभी एक लड़की आई और उसने किसी ऑर्डर की डिमांड की। वह कोई 25 साल की लड़की थी। नीले रंग के गाउन में। बाल खुले हुए थे और हवा में लहरा रहे थे। उसके डिमांड करते ही शख्स उसकी तरफ देखने लगा। ऐसे कि वह बस उसे देखता ही जा रहा था। शख्स ने अपने मन में कहा “मुझे नहीं लगता किसी एक कहानी के खत्म होने के बाद दोबारा कहानी नहीं लिखी जा सकती। कहानियों का क्या है, वह तो कभी भी किसी भी मोड़ पर किसी भी तरीके से शुरू हो सकती है, हे ब्यूटीफुल गर्ल, टेल मी, क्या तुम आने वाली कहानी में मेरी हीरोइन बनोगी।”
★★★
Arman Ansari
03-Dec-2021 07:42 PM
Wah behtarin kahani h mujhe ak bat achi lagi ap ki wo ye ki kahani kabhi khatam nhi huti usko to fir se koi na koi naya mod de kar suru kiya ja skta h ese hi zindagi se hme kabhi bhi himmat nhi hein chahiye jaha hme lagta h ab khatam h use hme shuruat smjhna chahiye nai zindagi ki na ki ant kabhi arambh h kb ant ye to koi nhi bata skta h jise hm ant smjh rhe h wo hi ky pata zindagi ka arambh ho koi na koi kahani hme ak shikh dete h ye to padne wale ki soch pr h wo kis trh leta h Ap ak naya arambh kab le kar a rhe h jal hi aye naye adhyay ke sath jivan ki abdul nhi paheliya ko lekar 🙏
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Sana Khan
03-Dec-2021 07:21 PM
Good
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